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शायरा जश्ने-बहार: 10 चुनिंदा शायर

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  मुशायरा जश्ने-बहार: 10 चुनिंदा शायर इमेज कॉपीरइट THINKSTOCK बीते शुक्रवार की रात दिल्ली में उर्दू और उर्दू शायरी से प्यार करने वालों लिए मुशायरा जश्ने-बहार का आयोजन हुआ. इस मुशायरे में भारत से वसीम बरेलवी, पाकिस्तान से किश्वर नाहीद, अमजदु इस्लाम अमजद, अंबरीन हसीब, चीन से ज़ांग शी ज़्वान, न्यूयॉर्क से अब्दुल्ला अब्दुल्ला, कनाडा से अशफ़ाक़ हुसैन, सऊदी अरब से उम्र सलीम अल-उदरूस शामिल थे. यहाँ पेश हैं इस आयोजन में पढ़े गए चंद ख़ास शेर. निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते क़लम मैं तो उठाके जाने कब का रख चुका होता मगर तुम हो कि क़िस्सा मुख़्तसर करने नहीं देते फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं कांटे बेकार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं वसीम बरेलवी (मुख़्तसर- छोटा) तुझसे वादा  अज़ीज़तर  रखा वहशतों को भी अपने घर रखा अपनी बे चहरगी छुपाने को आइने को इधर उधर रखा इस क़दर था उदास मौसमे-गुल हमने आबे-रवाँ पे सर रखा किश्वर नाहीद अज़ीज़तर- ज़्यादा प्यारा, बे चहरगी- फ़ेसलैसनेस, मौसमे-गुल- फूलों का मौसम, आबे-रवाँ- बहता हुआ पानी हिसाबे-उम्र का...